भारत एक ऐसा देश है जहां गरीबी और भुखमरी की समस्या सबसे ज्यादा है। गांव और कस्बे के भविष्य अभी भी गरीबी की वजह से आगे नहीं बढ़ पाते हैं लेकिन हाल ही में एक ऐसा नजारा लोगों को देखने को मिल रहा है जिसमें अपने बेटे को पढ़ाने के लिए एक पिता ने अपनी जमीन बेच दी और बदले में बेटे ने भी अपने पिता के इस फैसले को सही साबित करते हुए आईपीएस अधिकारी बनकर ना सिर्फ अपने पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया बल्कि वह अब देश की सेवा भी बहुत खूबसूरत तरीके से करते नजर आ रहा है। आइए आपको बताते हैं इस होनहार बेटे और पिता की कहानी भारत के किस शहर की है जिसे सुनकर लोग जमकर तारीफ करते नजर आ रहे हैं।
पीलीभीत के गांव हरायपुर की कहानी है नूरुल हसन की
नूरुल हसन जो पीलीभीत के हरायपुर गांव के रहने वाले हैं हाल ही में उनके जज्बे की कहानी लोगों के दिलों को जीत रही है। दरअसल नुरुल हसन की प्रारंभिक शिक्षा उनके गांव के ही सरकारी स्कूल में हुई जहां पर वह पढ़ने जाते थे लेकिन छठी कक्षा तक उन्हें अंग्रेजी का बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था। जैसे तैसे करके मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद इस छात्र ने बीटेक करने की ठान ली। हालांकि बीटेक की फीस इतनी ज्यादा महंगी थी कि प्राइवेट नौकरी करते हुए नूरुल हसन इसे पूरा नहीं कर पा रहे थे और जिसकी वजह से नूरुल हसन के पिता ने ऐसा कदम उठाया जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता है। आइए आपको बताते हैं नुरुल हसन के पिता ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए वह कौन से कदम उठाया जिस कदम को उनके बेटे ने भी सार्थक कर दिखाया।
पिता ने अपने बेटे को पढ़ाने के लिए बेच दी जमीन
नूरुल हसन को आगे की पढ़ाई करने के लिए काफी रुपयों की जरूरत थी और उनके पिता ने जब यह देखा कि उनके बेटे के भविष्य के लिए उन्हें पैसों की जरूरत है तब उन्होंने बिना सोचे समझे अपने गांव की जमीन बेच दी। गांव की जमीन बेचने के बाद शहर में उन्होंने एक कमरे का मकान ₹70000 में लिया और उसके बाद उनके बेटे की पढ़ाई में से आगे की तरफ बढ़ी। पढ़ाई करते हुए गुरुग्राम में उनकी एक प्राइवेट नौकरी भी लगी लेकिन उसी प्राइवेट नौकरी को करते हुए हैं नूरुल हसन ने अपनी परीक्षा की तैयारियों को भी जारी रखा। वर्ष 2015 में नूरुल हसन ने यूपीएससी की परीक्षा पास की और आज आईपीएस बन कर उन्होंने अपने पिता के उस फैसले को सही साबित कर दिया जिसके लिए उन्होंने अपने गांव का जमीन बेचा था।